नगालिम पर मुइवा का खुलासा, असम में व्यापक प्रतिक्रियाएं
गुवाहाटी
एनएससीएन (आईएम) के महासचिव टी. मुइवा के इस खुलासे के बाद कि केंद्र ने नगा एकीकरण की उनकी मांग को मान लिया है, समूचे राज्य में व्यापक प्रतिक्रियाएं है| आसू और विभिन्न जातीय संगठनों सहित प्रदेश कांग्रेस ने इस पर गहरा आक्रोश जताया है| शुक्रवार को गोलाघाट, मेरापानी और ऊपरी असम के सीमाई इलाकों सहित राज्य के अलग-अलग जगहों पर इसे लेकर प्रदर्शन किए गए|
राज्य के विपक्षी दल और कांग्रेस विधायक दल के नेता देवव्रत सैकिया ने केंद्र से बिना देर किए फ्रेमवर्क समझौते की सभी बिंदुओं को सार्वजनिक करने की मांग की है| मुइवा ने कहा था कि असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्सों को शामिल करते हुए वृहत्तर नगालिम की उनके संगठन की दीर्घकालीन मांग को केंद्र सरकार ने मान लिया है| कांग्रेस नेता ने कहा कि यह असम की भौगोलिक सीमाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती की स्थिति है| प्रदेश कांग्रेस इसका तीव्र विरोध करती है|
केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद 3 अगस्त 2015 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री की उपस्थिति में केंद्र सरकार ने काफी समय से चली आ रही नगा समस्या के समाधान के लिए एनएससीएन (आईएम) के साथ फ्रेमवर्क समझौते पर मुहर लगाई थी| लेकिन सरकार की तरफ से उक्त समझौते की बिंदुओं को सार्वजनिक नहीं किया गया| यहाँ तक कि उससे प्रभावित होने वाले राज्यों नगालैंड, असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों को भी कुछ नहीं बताया गया| प्रदेश कांग्रेस के मुताबिक संसद को भी इस बारे में विस्तार से नहीं बताया गया|
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल से आह्वान किया है कि वृहत्तर नगालिम के गठन के संदर्भ में सामने आई बातों की असलियत राज्य के लोगों के सामने लाए|
इधर असम गण परिषद के विधायक तथा पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल महंत ने भी वृहत्तर नगालिम गठन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि असम की एक इंच भी जमीन किसी के लिए छोड़ा नहीं जाएगा| उन्होंने कहा कि असम गण परिषद इसकी घोर विरोधी रही है और आगे भी विरोध जारी रहेगा|