सांसद और मंत्री पर असम चाय मजदूर संघ के खिलाफ कुप्रचार का आरोप
तिनसुकिया
असम चाय मजदूर संघ, पानीतोला शाखा के सचिव व पूर्व विधायक राजू साहू ने सांसद रामेश्वर तेली और मंत्री पल्लव लोचन दास पर संघ के खिलाफ कुप्रचार का आरोप लगाया है| उन्होंने कहा है कि वर्ष 2014 में ही केंद्र में बीजेपी की सरकार आते ही राजसहायता को बंद कर दिया गया था| फलस्वरूप एसीएमएस ने वर्ष 2015 में उच्च न्यायालय में मामला दर्ज किया जिसके बाद अदालत ने फैसला सुनाया कि चाय श्रमिकों का राशन बहाल रखा जाए|
उन्होंने कहा कि राशन के मुद्दे को लेकर ही एसीएमएस ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ भी आंदोलन किया था और भविष्य में भी करता रहेगा चाहे किसी की भी सरकार हो| उन्होंने कहा कि मंत्री पल्लव लोचन दास जब कांग्रेस के विधायक थे तब भी कमिश्नर के साथ उन्होंने चाय बागान में राशन बंद करने के मुद्दे पर चर्चा की थी| हम सांसद रामेश्वर तेली और मंत्री पल्लव लोचन दास को चेतावनी देते है कि संघ के खिलाफ झूठ का सहारा न ले| बगैर कानून या नीति-नियमों की जानकारी के वे कुप्रचार में लिप्त होने से बचे|
साहू ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला था कि जो भी यूनियन श्रमिकों की ओर से काम करता है वह चंदा ले सकता है| हम हमेशा कहते आए है कि असम चाय मजदूर संघ पहले भी चंदा लेता था और भविष्य में भी लेता रहेगा चूँकि चंदे की रकम से ही संघ के कार्यालय चलते है| नीति-नियमों से अनभिज्ञ सांसद और मंत्री का इस तरह संघ के चंदे की बात करना असमवासियों के लिए दुर्भाग्यजनक है| अगर इसी तरह वे आगे भी संघ के खिलाफ कुप्रचार चलाते रहे तो संघ को मजबूरन उनका पुतला फूंकने के साथ ही बागान में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना होगा|
साहू ने कहा कि मंत्री पल्लव लोचन दास ने कहा था कि अगर किसी चाय बागान में राशन बंद हुआ है तो उन्हें इसकी जानकारी दे जिससे वे सटीक व्यवस्था करेंगे| हम उनसे सवाल करते है कि एटीसी के अंतर्गत 15 चाय बागानों के 18000 श्रमिकों को राशन और अन्य सुविधाएँ नहीं मिली है और ना ही पूरी मजदूरी मिली है, ऐसे में मंत्री क्या व्यवस्था करेंगे? असम चाय मजदूर संघ हमेशा बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान चाहता है इसलिए बागान के मैनेजर, मालिक, सरकार सभी के साथ समय-समय पर चर्चा होती रहती है| इसमें छुपाने वाली कौन सी बात है| 21 जनवरी से चाय बागानों में राशनबंदी की सूचना मालिक पक्ष ने हमें दी थी जिस वजह से 19 जनवरी को हमने प्रत्येक चाय बगान में विरोध रैलियां निकाली थी चूँकि यह श्रमिक परिवारों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है|