31 मार्च तक कामतापुर, कार्बी लोंग्री छोड़े हिंदी व बंगाली भाषी
गुवाहाटी
कुछ उग्रवादी संगठनों ने हिंदी और बंगाली भाषी लोगों को आगामी 31 मार्च तक कामतापुर, कार्बी लोंग्री इलाकों के अलावा त्रिपुरा छोड़ कर चले जाने का फरमान सुनाया है| सेना के आतंक विरोधी अभियान से नाराज संगठनों की बात नहीं मानने पर कड़े परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहने की चेतावनी दी गई है|
पिछले काफी समय से सेना-पुलिस के आतंकवाद विरोधी अभियान में उग्रवादी संगठनों के कई सदस्य मारे जा चुके है| इसी से नाराज होकर कामतापुर लिबरेशन आर्गेनाईजेशन के पैड पर केएलओ, पीडीसीके और एनएलएफटी नामक संगठनों की ओर से जारी बयान में बीते 29 दिसंबर को चिरांग जिले में रतन नर्जारी नामक एक युवक की ह्त्या का आरोप सेना पर लगाया गया है|
बयान में कहा गया है कि भारत सरकार कामतापुर, कार्बी लोंग्री इलाकों के अलावा त्रिपुरा में बंगलादेशी बंगालियों अथवा हिंदुओं या मुसलामानों को पुनर्वासित करने का प्रयास कर रही है| संगठनों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के किसी भी प्रयास के गंभीर परिणाम होंगे|
इन उग्रवादी संगठनों ने कामतापुर, कार्बी लोंग्री इलाकों के अलावा त्रिपुरा में रहने वाले सभी हिंदी भाषियों और बांग्लाभाषियों को अगले तीन महीने में वहां से चले जाने को कहा है| उग्रवादी संगठनों से मिली चेतावनी के बाद अब इन इलाकों में रहने वाले लोगों के दिलों में अपनी सुरक्षा को लेकर दहशत का माहौल है|
सर्व हिंदुस्तानी युवा परिषद, असम ने राज्य के पुलिस महानिदेशक मुकेश सहाय से मिलकर तिनसुकिया जिले के पेंगेरी और फिलोबाड़ी में पुलिस थानों की संख्या बढ़ाने की मांग की है| बता दें कि पिछले साल तिनसुकिया जिले में कई उग्रवादी हमले हुए जिनमें हिंदी भाषियों को निशाना बनाया गया| यह सारी घटनाएँ हिंदीभाषी लोगों के मन में असुरक्षा की भावना पैदा कर रही है|