GUWAHATINATIONALNORTHEASTVIRAL

नागरिकता संशोधन विधेयक को ले कर गरमा रही है असम की राजनीती

गुवाहाटी 

By Manzar Alam,  Founder Editor, NESamachar, Former Bureau Chief (northeast), Zee News 

हर आने वाले दिनों  के साथ नागरिकता (संशोधन) विधेयक का मुद्दा गरमाता  जा रहा है. इस विधेयक को ले कर पूरे पूर्वोत्तर ख़ास कर असम में राजनीती भी गरमाती जा रही है. छात्र संगठनो के साथ साथ छोटे छोटे संगठनो द्वारा भी जिले स्तर पर धरना प्रदर्शन का दौर जारी है.

बीजेपी का साथ सरकार में शामिल असम गण परिषद ( ऐ जी पी ) भी विधेयक के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान छेड़ दिया है. पार्टी के सदस्यों ने कहा कि वह राज्य के लोगों से बिल के खिलाफ 50 लाख हस्ताक्षर इकट्ठा करेंगे जिसे जेपीसी के पास भेजा जाएगा.  कांग्रेस ने भी बिल को 1985 के असम समझौते की भावना के खिलाफ बताकर इसका विरोध किया है. पूर्व मुख्य मंत्री और ऐजीपी नेता प्रफुल्ल कुमार महंत ने भी कहा है कि यदी यह विधेयक पारित होता है तो बहुत राज्य और देश दोनों को ही नुक्सान होगा.

सर्वानंद सोनोवाल को मुख्य मंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने  वाला छात्र संगठन आल असम स्टूडेंट्स यूनियन ( आसू ) ने भी इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ है.  शायद यही कारण है की जनता की नब्ज़ को पढ़ते हुए मुख्य मंत्री सोनोवाल ने भी यह कह दिया है कि यदी ‘मैं अपने लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर सकता, तो मेरे मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई मतलब नहीं है.’

मुख्य मंत्री ऐसा कह कर राज्य के लोगों का अपने प्रती भरोसा पाने में कितने  सफल हो पाएंगे यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन इस समय विवादों से घिरे नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर बीजेपी की चुप्पी उन के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है.

बता दें कि चंद दिनों पहले ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने बिल पर जन सुनवाई शुरू की है. इसके बाद सीएम की तरफ से यह पहला बयान आया है कि बिल पर ब्रह्मपुत्र घाटी और बराक घाटी में रहने वाले लोगों के बीच मतभेद हैं. ब्रह्मपुत्र घाटी के लोग इस बिल के विरोध में है जबकि बराक घाटी के लोग इसका समर्थन कर रहे हैं.

सोनोवाल ने कहा है कि ‘हम कभी भी राज्य के लोगों के हित के खिलाफ नहीं जाएंगे.  जब केंद्र ने अवैध प्रवासी ऐक्ट लागू किया था तो लोगों की बात सुनने के लिए यहां जेपीसी नहीं भेजी गई थी. लेकिन इस बार  मेरे निवेदन पर जेपीसी यहां जन सुनवाई के लिए आई है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘जेपीसी ने अभी कोई फैसला नहीं किया है क्योंकि जन सुनवाई अभी पूरी नहीं हुई है.

इसी दौरान मेघायल सरकार ने घोषणा की है कि वह सर्वसम्मति के विधेयक का विरोध करेगी जिससे असम में सरकार की चुप्पी के खिलाफ प्रदर्शन को बढ़ावा मिल गया है. बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार दोनों ओर से दबाव में है.  बीजेपी की सहयोगी एजीपी ने बिल के पास होने पर तीन पार्टियों वाले गठबंधन से बाहर होने की चेतावनी दी है. केंद्र के प्रस्ताव को खारिज करने के लिए सोनोवाल भी सार्वजनिक दबाव में है.

केंद्र द्वारा प्रस्तावित किए गए नागरिकता (संशोधन) बिल 2016 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, पारसी और बौद्ध धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान शामिल किया गया है.  साथ ही उन्हें देशीकरण के जरिये भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में छूट दी गई ह.  इसके लिए इनके रेजिडेंसी अवधि को 11 साल से कम कर 6 साल कर दिया है, यानी अब उपरोक्त शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. यह विधेयक 1955 के ‘नागरिकता अधिनियम’ में बदलाव के लिए लाया गया है.

WATCH VIDEO OF DEKHO NORTHEAST

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button