दस बहादुर महिला पुलिस अधिकारियों में असम की दो
गुवाहाटी
देश की दस बहादुर महिला पुलिस अधिकारियों की सूची में असम की सुभाषिनी शंकरन और संयुक्ता परासर का नाम शामिल है| राष्ट्रीय से लेकर सोशल मीडिया पर इन दिनों देश की दस बहादुर महिला पुलिस अधिकारियों के नाम के काफी चर्चे है| इसने यह बात साबित कर दिया है कि आज के दौर में देश की बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है|
सुभाषिनी शंकरन और संयुक्ता परासर, भारतीय पुलिस सेवा की वह दो महिला पुलिस अधिकारी है जिन्होंने अपनी दक्षता के जरिए देशभर में न केवल असम का नाम गौरवान्वित किया है बल्कि आने वाली युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा भी है| एक वेब पोर्टल के अनुसार सुभाषिनी शंकरन व संयुक्ता परासर के अलावा देश की अन्य आठ बहादुर महिला पुलिस अधिकारी राष्ट्रीय मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर छाई हुई है|
आईपीएस अधिकारी सुभाषिनी शंकरन देश की प्रथम ऐसी महिला पुलिस अधिकारी है, जिनके हाथों में मुख्यमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा है| असम देश का ऐसा पहला राज्य है, जहाँ के मुख्यमंत्री की सुरक्षा की बागडोर महिला आईपीएस अधिकारी के हाथ में दी गई है| तमिलनाडु के थानजेउर जिले की मूल निवासी सुभाषिनी शंकरन ने मुंबई में पढ़ाई करने के बाद जेएनयू से मास्टर्स व एम.फिल की पढ़ाई करते हुए एलटीटीई के सुसाइड बॉम्बर स्क्वाड की जानकारी हासिल की| वर्ष 2010 में यूपीएससी मैंस परीक्षा में 243 रैंक हासिल करने के बाद आईपीएस अधिकारी के रूप में चुनी गई|
वहीँ असम में पहली महिला पुलिस अधिकारी के रूप में राज्य का नाम गौरवान्वित कर चुकी संयुक्ता परासर भी अपनी बहादुरी के चलते राष्ट्रीय व सोशल मीडिया पर काफी चर्चित है| बतौर शोणितपुर जिले की पुलिस अधीक्षक रहते हुए संयुक्ता परासर ने बोड़ो उग्रवादी संगठन एनडीएफबी के नाक में दम कर रखा था| उनके नेतृत्व में दर्जनों उग्रवादियों को न केवल मार गिराया गया, बल्कि उनकी कार्रवाई से शोणितपुर जैसे अशांत जिले में शांति भी स्थापित हो गई|
केवल शोणितपुर में ही नहीं, बल्कि जोरहाट जिले की पुलिस अधीक्षक पद पर रहते हुए भी उन्होंने प्रतिबंधित संगठन उल्फा की ओर से उपरी असम में की जा रही उगाही पर भी काफी हद तक अंकुश लगा दी थी| उनके तेज तर्रार नेतृत्व का ही नतीजा है कि कुछ दिन पहले ही उन्हें डेपुटेशन पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी के लिए बुलाया गया है|