बाक्सा नरसंहार में वन अधिकारी भी दोषी – मानवाधिकार आयोग
गुवाहाटी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2014 के बाक्सा नरसंहार मामले में वन विभाग के अधिकारियों को भी दोषी मानते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रर्वाई के निर्देश दिए हैं| 2014 को बाक्सा में हुए नरसंहार में एनडीएफबी (संग्बिजित) गुट के हमले में 39 बेक़सूर ग्रामीण मारे गए थे|
मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को मृतकों के आश्रितों को पांच-पांच लाख और घायलों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का सरकार को निर्देश दिया है|
तीन साल पहले हुए इस सामूहिक नरसंहार मामले में शुरुआत से ही मानस राष्ट्रीय पार्क में तैनात कुछ वन अधिकारियों पर उग्रवादियों को हमले में मादा करने के आरोप लगे थे| गोवर्द्धन थाने के अंतर्गत नरसिंगबाड़ी गाँव में घटी उक्त घटना की जांच एनआईए कर रही थी| जांच के बाद एनआईए ने अपने आरोप पत्र में उग्रवादी संगठन के बिकुनाश नर्जारी उर्फ़ एन बिलेंगबाई उर्फ़ लेग्रा और एस बसुमतारी उर्फ़ बी सिमांग नामक दो कट्टर नेताओं के नाम शामिल किए थे| जांच एजेंसी ने मामले से जुड़ा एक पूरक आरोप पत्र भी दाखिल किया था|
गोवर्द्धन थाने के खग्राबाड़ी गाँव के ग्रामीणों पर हुए आतंकी हमले में 36 अन्य बेकसूर ग्रामीण मारे गए थे| वहां भी बहुत सारे लोग बुरी तरह घायल हुए थे| उग्रवादियों ने ग्रामीणों के घर भी जला दिए थे|
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के उपपंजीयक श्रीनिवास कामथ ने बताया कि जांच में यह साफ हो गया है कि उक्त नरसंहार मामले में राज्य के कुछ वन अधिकारी भी शामिल थे| जांच में दोषी पाए गए सभी के खिलाफ आरोप पत्र दिया गया है|