असम – शल्य नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. कस्तुरी भट्टाचार्य लेकर आई नई क्रांति
गुवाहाटी
श्री शंकरदेव नेत्रालय में शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. कस्तुरी भट्टाचार्य ने एक नई क्रांति की शुरुआत की है| एक दुर्घटना के बाद ऑप्टिक तंत्रिका में चोट के कारण अपनी दृष्टि खो चुके एक रोगी का डॉ. कस्तुरी भट्टाचार्य और उनकी टीम ने Navigation Guided Technology of external optic canal decompression तकनीक से सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया।
यह भारत में पहली बार है जब इस तकनीक का उपयोग एक नेत्र सर्जन ने ऑप्टिक तंत्रिका चोट के रोगी के लिए किया है। श्री शंकरदेव नेत्रयालय में इस तकनीक की उपलब्धता ने उत्तर-पूर्व भारत के नेत्र रोगियों के लिए एक नई राह खोली है।
इससे पहले इस तरह की चोट का इलाज अकल्पनीय था। आखिरकार आधुनिक शल्यचिकित्सा तकनीक की मदद से श्री शंकरदेव नेत्रालय में रोगी का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया है और उम्मीद है कि उक्त मरीज को जल्द ही अपनी आँखों की रौशनी वापस मिल जाएगी| इस सफलता का श्रेय डॉ. कस्तूरी भट्टाचार्य और नई सर्जिकल तकनीक को जाता है|
डॉ. कस्तूरी भट्टाचार्य और श्री शंकरदेव नेत्रालय की यह पहल उन मरीजों के लिए नई आशा लेकर आई है जो इस खूबसूरत दुनिया को फिर से देखना चाहते हैं।
इस प्रकार के ऑप्टिक तंत्रिका चोट के कई प्रमुख कारणों में से एक है सड़क दुर्घटना| कई युवाओं को इससे गुजरना पड़ता है इसलिए श्री शंकरदेव नेत्रालय प्रबंधन सभी से अपील करता है कि गाड़ी चलाते वक्त सावधानी बरते और हमेशा हेल्मेट पहने| जो लोग दुर्भाग्यवश दुर्घटना के शिकार हुए हो उन्हें जल्द से जल्द अपनी आँखों का इलाज करवाना चाहिए ताकि दृष्टि वापस लौटने की संभावना अधिक हो|
इसके अलावा श्री शंकरदेव नेत्रालय और पूरे उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए एक और उपलब्धि यह है कि इस साल के लिए प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार यानी अमेरिकी अनुसंधान एवं विजन संगठन (एआरवीओ) का डीसीईआरटीएफ पुरस्कार श्री शंकरदेव नेत्रालय की डॉ. कस्तुरी भट्टाचार्य को दिया गया है|
यह पहली बार है कि उत्तर-पूर्व भारत के नेत्र रोग विशेषज्ञ ARVO द्वारा इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्रदान किया गया है। इसके अलावा डॉ. कस्तूरी भट्टाचार्य को पांच राष्ट्रीय स्वर्ण पदक से पहले ही सम्मानित किया जा चुका है| डॉ. कस्तूरी पूर्वोत्तर क्षेत्र से पहली महिला एफआरसीएस (नेत्र रोग विशेषज्ञ) हैं।