इस बार ब्रहमपुत्र का पानी कम होते ही कई चर इलाकों में बालू जमा हो गया है. खेती की ज़मीन रेगिस्तान में तब्दील हो चुकी है, खेती पर निर्भर करने वाले किसान परेशान हैं, उन के बीच हाहाकार मचा हुआ है और अब वह परिवार का पेट पालने के लिए पलायन कर रहे हैं
गुवाहाटी
By Shrawan Kumar Jha
असम में बहने वाला ब्रहमपुत्र नद का पानी का मटमैला होने और भारी मात्रा में कीचड़ और बालू आ जाने का सही कारणों का तो अब तक कोई अता पता नहीं है लेकिन इस से हो रहे नुक्सान हर तरफ दिखाई दे रहा है. मछलियां मर रही हैं, पीने के पानी का आभाव हो रहा है, तो कहीं कीचड़ और बालू के कारण खेती की ज़मीन नष्ट हो रही है.
ऐसा ही इलाका है असम की राजधानी गुवाहाटी से करीब 100 किलो मीटर दूर दरंग जिले का बृहदचर अंचल. यहाँ ब्रहमपुत्र के किनारे दूर दूर तक किसान खेती करते हैं, सब्जियां उगाते हैं और अपने परिवार का गुज़र बसर करते हैं. लेकिन इस बार ब्रहमपुत्र का पानी कम होते ही इस पूरे इलाके में बालू जमा हो गया है. ऐसा प्रतीत होता है मानो दूर दूर तक रेगिस्तान हो.
हज़ारो हज़ार बीघा उपजाव ज़मीन को रेगिस्तान में तब्दील होते देख स्थानीय किसानो में हाहाकार मच गया है. सैकड़ों किसान परिवार के सामने रोजी रोटी की समस्या पैदा हो गयी है. अपने और परिवार के भविष्य को लेकर किसानो में आतंक का माहौल है.
इस सम्बन्ध में NESamachar ने दरंग ज़िले के खरुपेटिया के नजदीक माँगुरमारी और चितलकति चर अंचल में जाकर हालात का जायजा लिया तो पूरे अंचल में बालू ही बालू दिखा. वहाँ मौजूद किसानो ने NESamachar को बताया क़ि पिछले साल तक इस जमीन पर माटीकलाई, मसूर दाल , विभिन सब्जी का खेती करते थे और इसी खेती से ही अपने पूरे परिवार का पालन पोषण करते थे लेकिन इस वर्ष हालात बदल गए हैं. खेतों में बालू भर पड़ा है जहा खेती करना नामुमकिन हो गया है. स्थानीय किसानो की माने तो वह अब खेती छोड़ दैनिक मजदूरी करने पर बाध्य हो गए हैं. इलाके से बड़ी संख्या में किसान पलायन कर कर्नाटक, केरल सहित दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जा रहे हैं.
चितलकति चर में भी तकरीबन साठ बीघा खेत में दाल की खेती करने वाले किसान लुकमान अली गत वर्ष तक इस चर अंचल में खेती करते थे लेकिन इस वर्ष वह खेती नहीं कर सके और इसका कारण पूरे ज़मीन का बालू में तब्दील हो जाना है. लुकमान के खेत में करीब दस फुट तक बालू जमा हुवा है जिसके कारण खेती सम्भव नहीं है.
यह हाल केवल माँगुरमारी या चितलकति चर का समस्या नहीं है बल्कि कुरुवा, चरेंग चापोरी से शुरू होकर कलाईचर, आगलाचार, पारघाट, बदलीचर, सामपुर, खेरोनी चपोरी डिबूचर सहित दर्ज़नो चर अंचल का है जहां कई हजार बीघा खेती की ज़मीन रेगिस्तान में बदल गयी है और दूर दूर तक केवल बालू ही बालू दिखाई देता है. इन सभी इलाकों के किसान भुखमरी के कगार पर है. जल्दी ही अगर इस मामले में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति भयानक हो सकती है.
उल्लेखनीय है क़ि इस वर्ष ब्रहमपुत्र के बाढ़ के पानी के साथ बड़ी मात्रा में बालू लेकर पुरे अंचल में कई फुट तक भर दिया जिसके कारण उपजाऊ मिट्टी के ऊपर कई फुट तक बालू भर गया है और खीती वाली ज़मीन रेगिस्तान में तब्दील हो गयी है.