
गुवाहाटी
आल बोडो स्टूडेंट यूनियन ( ABSU ) ने अलग बोड़ोलैंड की मांग को ले कर 2 मई से असम में BTAD इलाकों में 5 दिन का नेशनल हाईवे अवरोध का आह्वान किया है. आज इस का चौथा दिन है.
इस बीच काजल गाँव, बर्मा, उदालगुड़ी में हज़ारों की संख्या में ABSU कार्यकर्ता समेत आम बोडो लोग नेशनल हाईवे में शांती पूर्ण तरीके से धरना दे रहे, हैं. धरना देने वालों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं.
नेशनल हाईवे अवोरोध के दौरान सडकों के बीचों बीच बैल गाडी खड़ा कर दिया गया है. महिलाएं सड़कों पर खाना पका रही हैं, , धान कूट रही हैं, और चरखा चला रही हैं .

धरना के दौरान बोडो छत्र और प्रदर्शनकारी डिवाइड असम फिफ्टी-फिफ्टी, जान देंगे राज लेंगे, बोड़ोलैंड जिंदाबाद, जैसे नारे लगा रहे हैं. और हाथों में इन्हीं नारों की तख्तियां लिए हुए हैं.
इस दौरान वहां जमा भीड़ को संबोधित करते हुए आब्सू के अध्यक्ष प्रमोद बोड़ो ने कहा कि विभिन्न बोड़ो संगठनों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार अलग बोड़ोलैंड के मुद्दे को हमेशा के लिए नहीं सुलझा लेत. बोड़ोलैंड राज्य गठन के नाम पर अब तक 5000 बोड़ो लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं. अब इस मुद्दे को सुलझाने का वक्त है चूँकि बोड़ोलैंड मुद्दे को सुलझाने के मुद्दे को लेकर ही बीजेपी सत्ता में आई थ.

NESamachar से बात करते हुए आब्सू अध्यक्ष प्रोमोद बोडो ने कहा कि कि मौजूदा केन्द्र सरकार बोड़ो लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है इसलिए हमें अपना आंदोलन और तीव्र करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि यह समस्या तब तक नहीं सुलझेगी जब तक केंद्र सरकार 2014 में किए अपने वादे के अनुसार बोड़ोलैंड राज्य का गठन नहीं करती.
प्रमोद बोड़ो ने कहा, “आजादी के 70 साल बाद भी राज्य बोड़ो लोगों की पहचान, उनकी संस्कृति, भाषा की सुरक्षा नहीं कर पाया है. बोड़ो लोग वृहत्तर भारतीय समुदाय के अभिन्न अंग है और संविधान की परिधि में आते है.”
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इस बीच बोड़ो महिलाओं ने भी क्षेत्र में शांति बहाली और चहुमुखी विकास के लिए लंबित बोड़ोलैंड मसले को जल्द से जल्द सुलझाने की मांग की है. उन का कहना है कि बोड़ो महिलाएं अपनी संस्कृति और अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.








