मणिपुर: अफीम की अवैध खेती को नष्ट करने का सरकार की मुहिम जारी
उखरुल जिले में 31 हेक्टेयर अफीम की अवैध खेती को नष्ट कर दिया गया।
इम्फ़ाल- मणिपुर पुलिस Manipur police, वन विभाग और मणिपुर राइफल्स Manipur Rifles, के एक संयुक्त बल ने एक अभियान चला कर उखरुल जिले में 31 हेक्टेयर अफीम की अवैध खेती illegal Poppy cultivation को नष्ट कर दिया। छह महीनों से अधिक समय से मणिपुर में जारी जनजातीय हिंसा के बीच मणिपुर के पहाड़ियों में अवैध रूप से अफीम की खेती जारी है।
अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर राइफल्स और वन विभाग के अधिकारियों ने पिछले 48 घंटों के दौरान उखरुल जिले के अंतर्गत तोरा चांफुंग हिल रेंज में जड़ी-बूटियों का छिड़काव करके 31 हेक्टेयर अवैध अफीम के खेतों को नष्ट कर दिया।
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संयुक्त अभियान के दौरान अफीम की खेती करने वालों द्वारा स्थापित 45 झोपड़ियां जला दी गईं और पाइपलाइन कनेक्शन, उर्वरक, नमक, शाकनाशी और कीटनाशकों सहित अन्य बुनियादी ढांचे को भी नष्ट कर दिया गया।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने एक पोस्ट में लिखा है कि 16 हेक्टेयर अवैध अफीम के खेतों को नष्ट कर दिया गया। 20 झोपड़ियों को जला दिया गया।
इस बीच, उखरुल जिले के फाली-तोरा-चंफुंग हिल रेंज में पुलिस, वन और एमआर द्वारा संयुक्त अफीम विनाश अभियान के दूसरे दिन आज 25 झोपड़ियां जला दी गईं और 15 हेक्टेयर अफीम की खेती भी नष्ट हो गए।
उन्होंने लिखा कि राज्य सरकार नशे के खिलाफ अपनी लड़ाई तेज कर रही है और तब तक नहीं रुकेगी जब तक कि राज्य से ड्रग्स के खतरे को पूरी तरह से खत्म नहीं कर दिया जाता।
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छह महीने से अधिक लंबी जातीय हिंसा तब शुरू हुई, जब मार्च-अप्रैल के दौरान मणिपुर सरकार ने अवैध अफीम की खेती को नष्ट करना शुरू कर दिया और राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में आरक्षित और संरक्षित वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले अतिक्रमणकारियों के खिलाफ बेदखली अभियान शुरू किया।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर, जो म्यांमार के साथ लगभग 400 किमी लंबी बिना बाड़ वाली सीमा साझा करता है, भारत में अवैध दवाओं की तस्करी का प्रवेश द्वार भी बन गया है। 2017 के बाद से इंफाल पूर्व, कांगपोकपी, थौबल और नोनी जिलों में लगभग सैकड़ों अतिक्रमणकारियों को वन भूमि से बेदखल कर दिया गया है।