गुवाहाटी
सरकार की तरफ से असम से विवादास्पद आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स ऐक्ट (AFSPA) को वापस लेने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन सुरक्षाबल अभी इस ऐक्ट को हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों ने नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के बचे हुए ड्राफ्ट के 30 जून तक जारी किए जाने तक इस AFSPA कानून को जारी रखने की सलाह दी है.
ख़बरों की माने तो एक वरिष्ठ सबा अधिकारी का मानना है कि ‘एनआरसी के बचे हुए ड्राफ्ट के पब्लिकेशन के बाद. अफ्सपा को जारी रखने का कोई औचित्य नज़र नहीं आता है. 30 जून के बाद सरकार कम से कम पुलिस जिलों से अफ्सपा को हटाने पर विचार कर सकती है’
सेना अधिकारी मानते हैं कि ‘ लोअर असम से उग्रवाद लगभग समाप्त है. बी. बिदाई की अगुवाई में उग्रवादियों का छोटा सा दल भूटान में छिपा हुआ ह. कुछ उग्रवादी दस्ते मध्य असम के कार्बी-आंगलोन्ग इलाके में छिपे हैं. वहीं ऊपरी हिस्से, विशेष तौर पर अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ जिलों में परेश बरुआ की अगुवाई में उल्फा सक्रिय है.’
असम पुलिस भी मानती है कि ‘एनआरसी के पब्लिकेशन तक अफ्सपा जारी रखना ही होगा. ड्राफ्ट आने के बाद अफ्सपा हटाने की समीक्षा किया जाएगा. ऐसा नहीं करने पर आतंकवादी गुट मौके का फायदा उठाकर कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में मेघालय से अफ्सपा को पूरी तरह से हटा लिया है. यही नहीं, अरुणाचल प्रदेश के भी कई क्षेत्रों से इस ऐक्ट को हटा दिया गया है. इसके बाद असम में भी उग्रवाद के निम्नतम स्तर पर होने का हवाला देते हुए इस ऐक्ट को हटाए जाने की मांग उठने लगी है.
अफस्पा अब पूरे असम, नगालैंड, इंफाल नगर निगम के इलाके को छोड़कर पूरे मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और 8 पुलिस स्टेशनों में ही लागू है. नगालैंड में पिछले करीब 60 साल से यह कानून लागू है. पूर्वोत्तर के अलावा जम्मू-कश्मीर में अफस्पा लागू है.