असम विधानसभा में जनसंख्या एवं महिला सशक्तिकरण नीति पारित
गुवाहाटी
असम विधानसभा में ‘जनसंख्या एवं महिला सशक्तिकरण नीति’ के सरकारी प्रस्ताव को सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया है| इस नीति के अनुसार दो से अधिक संतान के माता या पिता को अब से सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी| यानी ऐसे माता-पिता सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं भर पाएंगे और सरकारी नौकरी में रहने के दौरान किसी कर्मचारी के दो से अधिक बच्चे पैदा होते हैं तो उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा|
इसके अलावा दो से अधिक संतान वाले पुरुष अथवा महिला को पंचायत एवं निगम-निकाय के चुनाव से भी वंचित होना पड़ेगा| साथ ही अब से 18 साल से कम उम्र की लड़की ब्याही नहीं जा सकेगी| शुक्रवार को वित्त मंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने सदन को बताया कि यह प्रस्ताव राज्य में बसे विभिन्न समुदाय के लोगों में सामजिक संतुलन लाने एवं गरीबी दूर करने के उद्देश्य से लाया गया है|
हिमंत ने कहा कि जनसँख्या नीति को दो दृष्टिकोण से देखना होगा| एक, स्थानीय मूल निवासियों की सुरक्षा और दूसरा, महिला सशक्तिकरण| उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय की बढ़ती आबादी एक भयानक भविष्य का संकेत है| देश के अन्य राज्यों की तुलना में असम में इस समुदाय की जनसँख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है| इस कारण इस समुदाय की महिलाओं की हालत बद से बदतर होती जा रही है| कम उम्र में इस समुदाय की युवतियों का विवाह करा दिया जाता है जिससे जल्दी ही ये तीन-चार बच्चों की मां बन जाती है| इस कारण जनसँख्या और महिला सशक्तिकरण नीति को राज्य में लागू करने की पहल की गई है ताकि जनसँख्या नियंत्रण हो सके और स्थानीय मूल निवासियों के मन से आशंका दूर हो|