1955 के प्रावधानों के अनुसार नागरिकता हासिल करने वाले नेपाल मूल के गोरखा , फॉरनर्स एक्ट 1946 के सेक्शन 2 (ए) के तहत ‘विदेशी’ नहीं हैं- केंद्र
नई दिल्ली
असम NRC को लेकर पिछले काफी समय से विवाद छिड़ा हुआ है. एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में गोरखा समुदाय के एक लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है. ऐसे में अब गृह मंत्रालय ने फॉरनर्स ट्रिब्यूनल-1946 के मुताबिक, असम में रह रहे गोरखा समुदाय के सदस्यों की नागरिकता की स्थिति के बारे में राज्य सरकार को स्पष्टीकरण जारी किया है.
गृह मंत्रालय ने असम सरकार से कहा है कि गोरखा या फिर नेपाली मूल के लोगों को फॉरनर्स ट्रिब्यूनल से नहीं जोड़ा जा सकता. असम सरकार को दिए अपने खत में गृह मंत्रालय ने कहा है कि संविधान लिखे जाने के समय गोरखा समुदाय के जो लोग भारतीय नागरिक थे या जो जन्म से भारत के नागरिक हैं या फिर जिन्होंने पंजीकरण अथवा नागरिकता कानून, 1955 के प्रावधानों के अनुसार नागरिकता हासिल की है, वो फॉरनर्स एक्ट 1946 के सेक्शन 2 (ए) के तहत ‘विदेशी’ नहीं हैं.
1950 के इंडो-नेपाल फ्रेंडशिप ट्रीटी का हवाला देते हुए, गृह मंत्रालय ने असम सरकार से कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास नेपाल का पहचान पत्र है, तो उसे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल का हिस्सा नहीं माना जाएगा. इंडो-नेपाल ट्रीटी ऑफ पीस एंड फ्रेंडशिप नेपाल और भारत के लोगों को एक दूसरे की धरती पर खुल कर आने जाने का मौका देती है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के मुताबिक बांग्लादेशी मूल के लोगों को बाहर निकालना है. गोरखा नेपाल मूल के हैं. ऐसे में उन्हें फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के अंतर्गत लाना गलती थी.
आपको बता दें कि असम में रह रहे गोरखा समुदाय के सदस्यों के कुछ मामले प्रवासी न्यायाधिकरण के पास भेज दिए गए थे. जिसके बाद ऑल असम गोरखा स्टूडेंट्स यूनियन ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को एक ज्ञापन दिया था.