सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार असम में NRC से बाहर रह गए व्यक्तियों के दावे और आपत्तियां स्वीकार करने का काम 25 सितंबर से सुरू होगा.
नई दिल्ली
NRC से संबंधित एक अच्छी खबर आए है. सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के ड्राफ्ट से बाहर रह गए व्यक्तियों के दावे और आपत्तियां स्वीकार करने का काम शुरू करने का आदेश दिया है.
बुधवार को जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आर. एफ. नरिमन की पीठ ने कहा कि एनआरसी के मसौदे से छूट गए करीब 40 लाख लोगों के दावे और आपत्तियां प्राप्त करने की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू होगी और यह अगले 60 दिन तक चलेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी व्यवस्था इतनी मजबूत होनी चाहिए, जो विरोध को भी झेल सके. यहां तक कि कोर्ट भी इसमें शामिल है. कयासों के आधार पर हम लिबर्टी का गला नहीं घोंट सकते. हम इस केस को पैनी नजर से देख रहे हैं.
पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस समय हमें जुलाई में प्रकाशित एनआरसी के मसौदे में शामिल करने के दावे और आपत्तियां दाखिल करने की प्रक्रिया पर जोर देने की जरूरत है.’ पीठ ने यह भी साफ किया कि इस मसले के परिमाण को देखते हुए ही नागिरकों को दूसरा अवसर प्रदान किया जा रहा है. पीठ इस मामले में अब 23 अक्तूबर को आगे विचार करेगी.
पीठ ने राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण में नाम शामिल करने के लिये चुनिन्दा दस्तावेजों की स्वीकार्यता और अस्वीकार्यता के संबंध में केन्द्र के रूख पर असम एनआरसी के समन्वयक प्रतीक हजेला से उनकी राय भी पूछी है.
बता दें कि शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार, एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की मध्य रात प्रकाशित हुआ था. तब 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. असम एकमात्र राज्य है, जिसके पास एनआरसी है, जिसे पहली बार 1951 में तैयार किया गया था.’