गुवाहाटी
By Manzar Alam
असम के गुवाहाटी में नीलाचल परबत पर स्थित माँ कामाख्या के मंदिर में अम्बुवासी मेला शुरू होते ही पूरा मंदिर परिसर माँ दुर्गा सतपती पाठ की आवाज़ से गूंजने लगा है . जिसे जहां जगह मिल गया वहीं बैठ कर सतपति पाठ में मगन हो गया है. यूं तो यह पाठ घर बैठ कर भी किया जा सकता है, लेकिन ऐसी मान्यता है की यदि अम्बुवासी मेले के दौरान मंदिर परिसर में बैठ पाठ किया जाए तो फल तुरंत मोलता है, कियोंकि मेले के दौरान माँ भगवती खुद नीलाचल परबत पर बिर्ज्मान रहती है. माँ अपने किसी भी भक्त या साधक को मुसीबत में नहीं देख सकती और तुरंत उस की मनोकामना पूरी कर देती हैं. शायद यही कारण है की दूर दूर से, साधकों, पंडितों, और भक्तों का जत्था कामाख्या पहुंचा है और सभी सतपति पाठ में व्यस्त हैं.
लेकिन कुछ ऐसे भी साधक हैं जो अम्बुबासी मेले के करीब आते ही माँ के द्वार पर आ बैठते हैं. इन्हीं में से एक हैं बनारस के जय प्रकाश पाठक. जय प्रकाश पाठक पाठ और साधना तो करते ही हैं लेकिन उस के साथ साथ समय निकाल कर सुबह शाम मंदिर की परिक्रमा करना और बंद द्वार में मस्तक झुकाना नहीं भूलते. जय प्रकाश पाठक का मानना है की यदि अम्बुबसी मेले के दौरान मंदिर परिसर के किसी भी कोने में बैठ कर सच्चे मन से साधना की जाए तो माँ मनोकामना ज़रूर पूरी करती हैं. बजाए इस के की गर्भ गृह में जा कर शक्ति पीठ का दर्शन किया जाए.
लेकिन सभी साधकों का विचार ऐसा नहीं है. मुंबई के रहने वाले शंकर आचार्या के शिष्य ओम प्रकाश शर्मा पिछले 25 वर्षों से कामाख्या आते हैं. पहले वोह वर्ष में एक बार अम्बुबासी मेले के समय ही आया करते थे लेकिन माँ ने बिन मांगे ही उन की हर मनोकामना पुरी कर दी, अब वोह माँ के ऐसे भक्त हो गए हैं की हर महीने कामाख्या आते हैं, और बिना गर्भ गृह का दर्शन किये नहीं लौटते, इन का कहना है की ग्रब गृह में बहती जल धारा के स्पर्श से वोह शान्ति मिलती है जिस का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता.
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गुवाहाटी- कामाख्या मंदिर में अम्बुवासी मेला
भगवान विष्णु के चक्र से खंड-खंड सती के शरीर का योनी अंग यहीं नीलाचल पहाड़ी पर गिरा था जहां आज कामाख्या मंदिर स्थापित है. कामख्या धाम विश्व भर के 51 शक्ति पीठों में से सब से महत्वपूर्ण शक्ति पीठ है. यह पवित्र स्थल ब्रहमांड में सिरजन, शांति, स्वरूपा माँ वसुमती का प्रतीक है जिस से जीवन का आरम्भ होता है. इसी लिए कामाख्या मंदिर में अम्बुवासी मेला का दौरान दूर दूर से साधक साधना के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है की अम्बुबासी मेले के दौरान सभी देवी देवता नीलाचल परबत पर इकठ्ठे होते हैं और इस दौरान अपने भक्तों की भाक्ति और साधकों की साधना से प्रश्न हो उठते हैंऔर उन की इच्छा ज़रूर पूरी करते हैं.
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