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AIUDF के विस्तार पर सेना प्रमुख को चिंता क्यों- बदरुद्दीन अजमल

गुवाहाटी   

जनरल विपिन रावत के बंगलादेशी और AIUDF वाले ब्यान पर ववाद गहराता जा रहा है. AIUDF अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने सेना प्रमुख के ब्यान को राजनैतिक ब्यान बताते हुए कहा है कि AIUDF के विस्तार पर सेना प्रमुख को क्यों चिंता हो रही है. यह बातें बदरुद्दीन अजमल ने अपने एक ट्वीट में कहा है.

बदरुद्दीन अजमल ने  ट्वीट  में कहा है कि “जनरल बिपिन रावत ने एक राजनीतिक बयान दिया है, जो चौंकाने वाला है”. आगे उन्हों ने कहा है कि “लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित एक राजनीतिक पार्टी भाजपा की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है तो इस की चिंता सेना प्रमुख को क्यों है”.  बदरुद्दीन अजमल ने ट्वीट के तीसरे लाएं में लिखा है कि “बड़ी पार्टियों के गलत व्यवहार की वजह से AIUDF, और AAP जैसी चोटी  पार्टियां बड़ी हो गयी  हैं”.

दरअसल  एक सेमिनार के दौरान सेना प्रमुख ने 1984 में भाजपा के महज दो सीटें जीतने का जिक्र करते हुए कहा, ‘एआईयूडीएफ नामक एक पार्टी है. यदि आप उस पर नजर डालें तो आप पायेंगे कि भाजपा को उभरने में सालों लग गए, जबकि वह बिल्कुल कम समय में उभरी.’ उन्होंने कहा, ‘एआईयूडीएफ असम में तेजी से बढ़ रही है.’ यह दल मुस्लिमों के पैरोकार के रुप में 2005 में बना था और फिलहाल लोकसभा में उसके तीन सांसद और असम विधानसभा में 13 विधायक हैं.

सेना प्रमुख ने बांग्लादेशी घुसपैठ और जनसांख्यिकी परिवर्तन को समझाने के लिए उदाहरण देते हुए बयान दिया कि हमारे देश में जितनी तेजी से बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ है उससे भी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ बढ़ी है. जनरल रावत ने नॉर्थ ईस्ट राज्य असम के जिलों में मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ का उभार 1980 के दशक से भाजपा के विकास से अधिक तेज रहा. इसके साथ ही उन्होंने जमीन पर कब्जा जमाना भी घुसपैठ का बड़ा कारण बताया है.

सेना प्रमुख के इस बयान के बाद बवाल मच गया है. उनके इस बयान पर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा कि आर्मी चीफ को राजनीतिक मामलों पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के अंतर्गत काम करती है इसलिए हमारा संविधान उन्हें राजनीतिक मामलों में बोलने की इजाजत नहीं देता है.

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