असम: आज आयेगा एनआरसी NRC, देश भर की नज़रें असम पर
आज रात 12:30 बजे जब पूरे विश्व में नए वर्ष की आने की खुशी में ढोल ताशे बज रहे होंगे, आतिशबाजी हो रही होगी, तब असम में एनआरसी NRC का प्रकाशन हो जाएगा.
गुवाहाटी
By Sanjay Kumar
आज वर्ष 2017 का अंतिम दिन है और वर्ष 2018 शुरू होते ही असम में एक नया इतिहास लिखा जाएगा जिस का नाम है एनआरसी यानी राष्ट्रयी नागरिक रजिस्टर ( National Citizen Register – NRC ) . आज रात 12:30 बजे जब पूरे विश्व में नए वर्ष की आने की खुशी में ढोल ताशे बज रहे होंगे, आतिशबाजी हो रही होगी, तब असम में एनआरसी NRC का प्रकाशन हो जाएगा. एनआरसी के प्रकाशित होते ही किसी की खुशी दो गुनी हो जाएगी तो किसी की ख़ुशी छिन जाएगी.
लेकिन अगर एनआरसी में किसी का नाम नहीं है तो इस मतलब यह भी नहीं मान लेना चाहिए कि उसे देश से निकाल दिया जाएगा. इस सन्दर्भ में असम के मुख्य मंत्री सर्वानंद सोनोवाल कह चुके हैं कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) NRC में जिन भारतीयों का नाम नहीं होगा उन वास्तविक भारतीयों को अपना नाम एनआरसी में शामिल करवाने के पूरा पूरा अवसर दिया जाएगा.
बहरहाल एनआरसी के मुद्दे पर पुरे देश की असम पर टिकी हुई है. असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को भारत की नागरिकता दिए जाने का मुद्दा एक अहम पड़ाव पर पहुंचने वाला है. नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस के पहले ड्राफ्ट की घोषणा होने वाली है. एनआरसी से उम्मीद की जा रही है कि असम में दशकों से हो रही अवैध प्रवासन के मुद्दे को हल करने में मदद मिलगी.
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राज्य की कुल आबादी का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों का है। इनमें 90 प्रतिशत मुसलमान प्रवासी हैं और बांग्ला बोलते हैं उन पर बांग्लादेशी होने का धब्बा लगा है जिसे मिटाने में एनआरसी उनकी मदद कर सकता है. दूसरी तरफ बांग्ला बोलने वाले हिंदुओं के असम में आने को लेकर कोई विवाद नहीं है. कहा जा रहा है कि एनआरसी से उन्हें फायदा ही मिलेगा.
भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार पहले से नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करने की कोशिश कर रही है ताकि 1971 के बाद असम की सीमा में घुसे हिंदुओं को भारत की नागरिकता मिल सके. गौरतलब है कि 1985 में हुए असम समझौते के मुताबिक 24 मार्च 1971 की मध्यरात्रि से पहले असम आए हर व्यक्ति को भारतीय नागरिक माना जाएगा. एनआरसी के अधिकारियों का कहना है कि वे हर किसी को न्यायपूर्ण अवसर देना चाहते हैं.