असम – उल्फा, एनडीएफबी के साथ शांतिवार्ता पुनः शुरू
गुवाहाटी
गृह मंत्रालय ने गुरुवार को उल्फा के वार्ता समर्थक गुट और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के दो गुटों के साथ शांति वार्ता शुरू की। खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक और नव नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा ने बुधवार को गुवाहाटी में उल्फा के साथ त्रिपक्षीय वार्ता की अध्यक्षता की| वहीँ एनडीएफबी के दो गुटों के साथ चर्चा गुरुवार को शुरू हुई।
बैठक में उल्फा के अध्यक्ष अरविंद राजखोवा, अनुप चेतिया और संगठन के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया| सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि उल्फा असम के मूल निवासियों के अधिकारों और उनके अस्तित्व की सुरक्षा के लिए संविधान में संशोधन करने पर जोर दे रहा है।
असम में रहने वाले लोगों की नागरिकता के लिए आधार वर्ष के रूप में 1 9 51 की मांग करते हुए कई व्यक्तियों और नागरिक समाज संगठनों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के आसन्न फैसले के कारण उल्फा के साथ शांतिवार्ता को रोका गया था| हालांकि असम समझौते के अनुसार नागरिकता के लिए मौजूदा आधार वर्ष 1971 है| उल्फा भी एनआरसी के लिए आधार वर्ष को मौजूदा 1971 से 1 9 51 में बदलने की मांग का समर्थन कर रहा है।
2009 में उल्फा के अध्यक्ष अरविंद राजखोवा की बांग्लादेश में हुई गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के बाद उल्फा के साथ शांति वार्ता शुरू हुई थी। अप्रैल 2010 में उल्फा राज्य में संघर्ष की स्थिति का समाधान करने के लिए शांति वार्ता में शामिल हो गया। हालांकि परेश बरुवा की अगुवाई में उल्फा के दूसरे समूह ने शांति प्रक्रिया में शामिल होने से इनकार कर दिया। एनडीएफबी के प्रगतिशील गुट ने 2005 में सरकार के साथ युद्ध विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए।
बैठक में राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे| सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि एनडीएफबी प्रमुख रंजन दैमारी भी शांति वार्ता में शामिल होंगे। दैमारी को बांग्लादेश में गिरफ्तार कर लिया गया था और भारत को प्रत्यर्पित किया गया था। शांति प्रक्रिया शुरू करने के लिए उन्हें असम में न्यायिक हिरासत से रिहा किया गया था।
इस बीच, सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने उल्फा और एनडीएफबी गुटों की मांगों को गोपनीय रखने का फैसला किया है।