भारत की जारवा जनजाती, जो अपने ही बच्चों की हत्या कर देते हैं

नई दिल्ली
यदी आप के परिवार के सभी सदस्य सांवले या काले हैं, और परिवार में कोई बच्चा जन्म ले जिस का रंग साफ़ हो, तो किया आप उसे जन्म लेते ही मार देंगे ? या फिर यदी आप के समाज का कोई युवक अपने समाज के बाहर किसी युवती से बियाह रचाना चाहता है तो किया आप उसे जान से मार देंगे, शायद कभी नहीं । कम से कम आज के इस दौर में तो कोई भी माता पिता ऐसा सोच भी नहीं सकता. लेकिन हमारे देश में एक जन जाती ऐसी है जो आज भी इस विज्ञान के दौर में अपने पुराने परम्पराओं को जीवित रखे हुए है ।यह जन जाती है “जारवा जनजाती ” जो अपने ही बच्चों की हत्या कर देते हैं |
साउथ अंडमान आइलैंड में जारवा जनजाती की रिती रिवाजों के बारे में सुन कर आप चौंक जाएंगे। अंडमान पुलिस के लिए इन दिनों जारवा जनजाती के बच्चों के हत्या का मामला सिर दर्द बन गया है। दरअसल, यह हत्या कोई और नहीं, बल्कि उन्हीं की समाज के लोग करते हैं। पुलिस के सामने परेशानी यह है कि इस समाज के लोगों को बचाव करे या उन के खिलाफ कार्रवाई करे।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस जनजाति के लोगों की संख्या करीब 400 है, जो लगभग 50 हजार वर्ष पहले अफ्रीका से यहां आकर बस गए थे। इनकी स्किन बिल्कुल काली होती है और कद छोटा होता है। 1998 तक यह जनजाति बिल्कुल अलग जीवन जीती रही और बाहरी लोगों को देखते ही मार देती थी, हालांकि बाद में इनकी आदतें बदलीं। यह जनजाति अब बाहरी दुनिया के लोगों के संपर्क में आ रही है लेकिन अगर इनके किसी बच्चे का रंग इनसे मिलता-जुलता नहीं दिखता तो यह उसे मार डालते हैं। जनजाति की यह भी परंपरा है कि अगर कोई विधवा मां बनती है, या बच्चा किसी बाहरी व्यक्ति का लगता है तो वह उसे मार देते हैं।
अब उनकी यही परम्परा पुलिस और प्रशासन के लिए सर दर्द बन गया है । साउथ अंडमान आइलैंड में पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन ऐसी दुविधा की स्थिति में पहुंच गया है जहां उन्हें संविधान का पालन तो करना ही है लेकिन साथ ही जारवा जनजाति की पवित्रता और मान्यताओं को भी बनाए रखना है। स्थानीय पुलिस और अधिकारियों को साफ निर्देश मिले हैं कि वे इस समुदाय से जुड़े मामलों और परंपराओं में कम से कम दखल दें।
पिछले कुछ वर्षों में बाहरी लोगों पर जनजाति के साथ बुरा बर्ताव करने के कई मामले भी सामने आए हैं। 2012 में एक ऐसा वीडियो सामने आया था जिसमें इस जनजाति की कुछ महिलाओं को खाना देने के बदले न्यूड अवस्था में नाचने को कहा जा रहा था। 2014 में पहली बार किसी जारवा जनजाति की महिला ने एक साक्षात्कार में कहा कि कुछ बाहरी लोग जारवा जनजाति की महिलाओं के साथ यौन हिंसा करते हैं ।
सर्वाइवल इंटरनेशनल के मुताबिक, अगर जारवा जनजाति की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये खत्म भी हो सकती है। इस जनजाति के लोगों को सरकार के कार्यक्रमों अथवा आरक्षण आदि प्रावधानों के बारे में कोई जानकारी नहीं है ।
जारवा के अलावा अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पर सेंटीनीलीज, ओंगी और ग्रेट अंडमानीज जनजाति के लोग भी रहते हैं और ये लोग बाहरी लोगों से दूर ही रहते हैं ।